महिलाओं को लेबर में ज्यादा समय देने से C-Section की संख्या को आधा किया जा सकता है - स्टडी

29 साल की चंचल मेहता जब डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल पहुंची तो उनका लेबर करीब 2 घण्टे तक चला जिसके बाद उन्होंने सी-सेक्शन कराने का फैसला ले लिया । उन्हें बताया गया था की आगे वो थोड़ी और देर तक लेबर पेन में रहती तो वो खुद को और अपने बच्चे को खतरे में डाल सकती थीं ।
हालाँकि मेहता ने एक हेल्थी बॉय को जन्म दिया लेकिन फिर भी देश में ज्यादातर महिलाओं की तरह उन्हें भी लेबर के लिए कम टाइम दिया गया जिस वजह से उन्हें सर्जरी का रास्ता अपनाना पड़ा। क्यू ज़ेड के 2014 के रेपोएट के मुताबक 2010 तक सी-सेक्शन कराने वाले 8 प्रतिशत लोग ही थे जो डब्लूएचओ के मानक 10 से 15 प्रतिशत के भीतर ही था। लेकिन पिछले कुछ सालों में केरल में ये 41% तमिलनाडु में 58% तक हो गया है ।
ये प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टरों की भी जल्दीबाजी दिखता है जो 3 घण्टे के लेबर से पहले ही सर्जरी करने लगते हैं ताकि ज्यादा पैसे ऐंठे जा सकें ।एक नई स्टडी के मुताबिक अगर महिला को लेबर के लिए 4 घण्टे दिए जाएं तो सी-सेक्शन कराने वालों की संख्या आधी हो सकती है।
स्टडी क्या कहती है ?
मार्च में पब्लिश हुई The American Journal of Obstetrics and Gynecology के मुताबिक स्टडी Thomas Jefferson University in Pennsylvania, US के शोधकर्ताओं द्वारा की गयी थी । उन्होंने पाया की लेबर के सेकंड स्टेज के दौरान जब पुश करके बेबी को जन्म देती है तो ये पुरे प्रोसेस का सबै इंटेंस स्ट्रेच होता है ।
उन्होंने ये भी पाया की अब बच्चे की डिलीवरी में पहले से बहुत ज्यादा समय लगता है । अपने रिसर्च के आधार पर उन्होंने ये टिप्पणियाँ की -
- पहली बार महिलाओं को 3 घण्टे के लेबर पेन से गुज़ारा गया उसके बाद एक घण्टा और देते ही सी-सेक्शन की संभावना आधी हो गयी ।
- The American College of Obstetricians and Gynecologists के मुताबिक सेकंड स्टेज के दौरान पहली बार माँ बनने जा रही महिलाओं को 3 घण्टे मिले बेबी को पुश करने के लिए। उसके बाद सेकंड स्टेज के लेबर को थोडा बढ़ाया गया । लेकिन ज्यादातर मेडिकल फील्ड में इसी स्टेज पर सी-सेक्शन कर दोय जाता है ।
- करीब 43.2 % महिलाएं जिन्हें पुश करने के लिए 3 घण्टे तक का समय दिया गया उनमे से ज्यादातर लोगों में सी-सेक्शन कराया गया ।
- 19.5 फोसदि महिलाएं ऐसी थीं जिन्हें लेबर के लोए 4 घण्टे दिए और फिर भी उन्हें सी-सेक्शन कराना पड़ा।
सी-सेक्शन क्यों किया जाता है ?
हालाँकि लेबर के सेकंड स्टेज पर महिलाओं को लेबर में लिए समय दिया जाना चाहिए लेकिन फिर भी ऐसी कई कंडीशन हैं जिसके तहत उन्हें सी-सेक्शन की जरूरत पड़ सकती है । डब्लूएचओ के मुताबिक ये 8.5% से ज्यादा नही होनी चाहिए लेकिन भारत में इसकी संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है ।सी-सेक्शन 2 तरह के होते हैं (इलेक्टिव और इमरजेंसी) और आपका इन दोनों के बारे में जानना जरूरी है । ये हैं कुछ मुख्य कारण:
- बच्चे को जरूरत भर ऑक्सीजन का न मिलना
- लेबर का आगे न बढ़ना
- बच्चे सही पोजीशन में न हों
- Umbilical Cord के साथ कोई समस्या
- अगर गर्भ में 2 से ज्यादा बच्चे हों
- अगर माँ में placental insufficiency ho
- बर्थ कैनाल में fibroid obstruction हो
- बच्चे की हार्ट बीट रेगुलर न हो
इस स्टडी में मैटरनल फोएटल मेडिसिन के फेलो और इस स्टडी के ऑथर एलेक्सिस जीमोव्स्की ने हफिंगटन पोस्ट से बात करते हुए बताया " महिला लेबर के दौरान अपने डॉक्टर से बात कर सकती है अगर सी-सेक्रिओं का प्राइमरी रीज़न लेबर के लिए बढ़ता हुआ समय है तो....पूछना सही रहेगा की क्या आप और कुछ समय ले सकती हैं या नहीं"
इंदुसपरेन्ट से बात करते हुए विशेषज्ञ
नई दिल्ली के पारस ब्लिस हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञ कंसलटेंट डॉ.प्रीती रहेजा से हमने इसी विषय पर सवाल पूछा तो उन्होंने बताया की लेबर में अधिक समय देना नेचुरल चाइल्ड बर्थ का मुख्य भाग है ।
"American College of Obstetricians and Gynecologists (ACOG) द्वारा हाल ही में दी गयी एक गाइडलाइन के मुताबिक हेल्थ वर्कर को मबिलाओं के लेबर के सेकंड स्टेज में एक्स्ट्रा समय देना ही चाहिए लेकिन माँ और बच्चे की पूरी तरह से जांच के बाद । हाल ही में सी-सेक्शन कराने वाली महिलाओं की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ी है । ये गाइडलाइन उसमे कमी ला सकती है ।"
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