11 सबसे ख़राब parenting suggestions


11 सबसे ख़राब पेरेंटिंग सलाह
आपको दिए गए सभी पेरेंटिंग सलाह सही नहीं होते।
जब आप नए- नए माता-पिता बनते हैं तो कई लोग आपको आकर बच्चे के पालन पोषण से जुड़े ऐसे सलाह देंगे ही देंगे जो हास्यास्पद होते हैं। आपके ररिश्तेदार झुण्ड बनाकर आपके घर आएंगे और आपको तरह तरह के सलाह देने लगेंगे जैसे बच्चे को क्या और कैसे खिलाएं, बच्चे के कपडे कैसे बदलें। कुछ तो आपको अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक सम्बन्ध कैसे बनाये रखें यहाँ तक की सलाह देने लगते हैं। लेकिन ये सब तो एक शुरुवात भर है। जरा पढ़िए कुछ विचित्र सलाह जो लोग आपको दे सकते हैं।

11 सबसे ख़राब पेरेंटिंग सलाह
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अपने बाहों की ज्यादा ऊपर ना उठाएं नहीं तो नाल बच्चे का गला घोंट सकती है
गर्भावस्था के दौरान लोग आपसे ये जरूर कहेंगे की अपने बाँहों को ज्यादा ऊपर ना उठाएं। उनका मानना होता है की ऐसा करने से शरीर की नाल बच्चे का गला घोंट सकती है। हमारा मानना है की ये बिलकुल गलत जानकारी है। हाथ ऊपर उठाने से बच्चे का गला घोंटा जा सकता है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। हाँ ये सही है की कुछ बच्चों के जन्म के दौरान नाल उनके गले के चारो और लिपटी होती है लेकिन इसका कारण केवल गर्भ में बच्चे के संचलन है। ये गतिविधि कुछ ऐसी नहीं है की जिसे आप शरीर के बाहर से नियंत्रित कर सकें। असल में तीसरी तिमाही प्राकृतिकरूप से ऊपर करना चाहेंगे जिससे ऑक्सीजन फेफड़े तक पहुँच सके। यह प्राकृतिक है इसीलिए घबराएं नहीं। अपने बाहों को जितना चाहें ऊपर उठाएं।

11 सबसे ख़राब पेरेंटिंग सलाह
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नवजात के शरीर बालों को निकलने के लिए आटे या बेसन का उपयोग करें।
ऐसा कभी नहीं करें। आटा और बेसन दोनों बच्चे की त्वचा के लिए बुरा हैं और गंभीर एलर्जी पैदा कर सकता है । छोटे सुनहरे बालों को बढ़ने देना सबसे अच्छी बात है । अपने बच्चे की त्वचा के साथ प्रयोग मत करिये , किसी भी कठोर स्क्रब के लिए यह बहुत ही ज्यादा संवेदनशील होती है ।

11 सबसे ख़राब पेरेंटिंग सलाह
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अगर बच्चा बीमार है या बुखार है तो बच्चे को स्नान न कराएं ।
मामूली सर्दी, खांसी या वायरल बीमारी में भी बच्चे को स्नान कराने में बिलकुल कोई बुराई नहीं है। बस आपको स्नान के बाद उन्हें जल्दी से जल्दी कपड़ों में लपेटना होगा । इसके अलावा, ठंडी हवाओं से बच्चे को दूर रखें । लेकिन अगर बुखार बहुत ज्यादा है तो बच्चे को एक स्पंज स्नान दें । स्नान के बाद बच्चे को स्वछता का एहसास होता है जो उसके लिए बेहतर है। इसके अलावा बच्चे को थकान से भी राहत मिलती है।

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मुह शहद से धोएं
जैसे ही बच्चे का जन्म होता है आपके माता-पिता तथा आपके ससुराल के लोग बच्चे को शहद चटाने के लिए झुण्ड में आ जाते हैं। आपसे कहा जाएगा की ऐसा करना शुभ होता है, इससे बच्चा एक अच्छा वक्ता बनेगा , उसकी आवाज़ आएगी आदि। लेकिन इस मिथक के कोई प्रमाण नहीं हैं। बच्चे के जन्म लेते ही उसे मीठा खिलाना तो बिलकुल भी सही बात नहीं है।
कुछ अध्ययनों से पता लगा है की वास्तव में एक शिशु को शहद खिलाने से शिशु बोटुलिज़्म हो सकता है । यह एक बैक्टीरिया के कारण हुई बीमारी है जो बच्चे के शरीर में जहर पैदा करता है। हालांकि भारत में इस तरह के ज्यादा मामले तो दर्ज नहीं हुए हैं लेकिन रिस्क क्यों लेना।

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नवजात शिशु का यात्रा करनI अच्छी बात नही है।
अगर आपके बच्चे के खाने का सही इंतज़ाम है तो यह सच नहीं है। यात्रा किसी के लिए भी एक थकान भरा अनुभव होता है फिर चाहे वो एक बच्चा ही क्यों ना हो । शोर और लगातार चलते रहना बच्चे को चिड़चिड़ा बना सकते हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है । बच्चों को पर्याप्त भोजन और नींद की जरूरत है । आप दोनों की सुविधा कर सकते हैं तो, तो यात्रा को बहुत आसान बनाया जा सकता है ।

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शुरुवाती दूध को फेंक देना चाहिए।
यह एक और बड़ा मिथक है। अगर कोई आपसे कहता है की शुरुवाती दूध में पोषक तत्वों की कमी होती है और पानी ज्यादा होता है तो आप इस सलाह को अनदेखा कर दें ।वास्तव में शुरुवाती दूध बच्चे के लिए अतिआवश्यक है क्योंकि इसमें प्रोटीन , लैक्टोज, विटामिन, खनिज और बहुत सारा पानी होता है ।बच्चे की प्यास बुझाने के लिए हमेशा पौष्टिक आहार देना आवश्यक है और शुरुवाती दूध कुछ ऐसा ही है।

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बच्चे का रोना फेफड़े के लिए अच्छा है।
अगर आपसे कोई कहे की बच्चे का रोना उसके फेफड़े के लिए अच्छा है तो उसे नज़रअंदाज़ करें। एक नए माता-पिता की तरह आपको भी समय लग सकता है ये जानने में की बच्चे के रोने का आखिर कारण क्या है। लेकिन बच्चे से दूरी बना लेना अच्छी बात नहीं है। ऐसा करने से बच्चे को लगता है की वो आप पर निर्भर नहीं रह सकते और वो एक सुरक्षित वातावरण में नहीं हैं। मत भूलें की हमारा शरीर किसी भी तरह के हमारे बच्चों के संकट का सामना करने के लिए स्वाभाविक रूप से प्रतिक्रिया करता है। इसीलिए उन संकट के सूचना का ध्यान रखें और उसका सही जवाब भी दें।
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हरे रंग के मल का मतलब है की बच्चे को ठन्डे वातावरण में रखा गया है ।
यह सही नहीं है !बच्चे के मल का या आपके खुद मल के रंग का ठण्ड लगने या ठन्डे वातावरण से कोई सम्बन्ध नहीं है। रंगों से बस आंतों से पित्त के आने की आतुरता का पता चलता है। अगर आपको कोई यह विचित्र सलाह दे , तो इसे अनदेखा करें ।

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नवजात शिशु को पीले कपडे नहीं पहनाने चाहिए क्योंकि इससे पीलिआ होने का खतरा होता है।
अगर आपने ऐसे मूर्खतापूर्ण सलाह सुन कर ठहाके लगाएं है तो सही है। या एक आम मिथक है जिसका सर पैर नहीं है। अधिकांश नवजात शिशुओं को बड़े पैमाने पर हानि कारण पीलिआ होते ही नहीं है।पीलिआ लाल रक्त – कोशिकाओं के टूटने से होता है। ऐसा होने से बिलीरुबिन नामक रसायन अबंता है जो शरीर को पीला कर देता है।

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बच्चे को जगाये रखें ताकि बाद में वो देर तक सोये
इस मिथक को बहुत पहले खत्म कर दिया जाना चाहिए था । नए माता-पिता को आज भी परेशान करता है । अगर आपको आपके किसी दोस्त या परिवार के सदस्यों से ऐसी सलाह दे तो बस विनम्रता “धन्यवाद” बोल दें । शुरू में आपको यह एक अच्छी सलाह की तरह लग सकती है, लेकिन लम्बे समय के लिए बच्चे को जगाये रखने से बच्चों में चिड़चिड़ापन आ सकता है । तथ्य यह है कि बच्चों को बहुत जल्द ही थकान हो जाती है , इसीलिए बेहतर है की जब बच्चे को नींद आये उसे सोने दें ।

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पका हुआ केला बच्चे का पहला ठोस आहार होना चाहिए
यह एक बहुत बुरी सलाह है । बच्चे को केला पचाने में बहुत परेशानी आती है इसीलिए आप अपने बच्चे को पके केले खाने के लिए मजबूर न करें । इसके बजाय , बच्चे को चावल आदि खिलाएं । इसमें लोहे की मात्रा अच्छी होती है और बच्चे को इसे पचाने में काफी आसानी होती है। अगली बार कोई ऐसी सलाह दे तो सीधा मना कर दें।
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