सिर्फ तैमूर ही नहीं, आमना शरीफ के बेटे अरेन भी होंगे आने वाले समय के रॉकस्टार..

टीवी स्टार आमना शरीफ का एक साल का बेटे अरेन बहुत क्यूट हैं और उनकी तस्वीरें देखकर तो ऐसा ही लगता है जैसे कोई रॉकस्टार बड़ा हो रहा हो।
ऐसा लगता है कि हम तैमूर अली खान के क्यूटनेस से बाहर नहीं निकल पाएंगे, लेकिन एक और जूनियर प्रिंस है जो हमारे दिलों में जगह बना रहा है।
टीवी स्टार आमना शरीफ का एक साल का बेटे अरेन बहुत क्यूट हैं और उनकी तस्वीरें देखकर तो ऐसा ही लगता है जैसे कोई रॉकस्टार बड़ा हो रहा हो।
कहीं तो होगा फेम काफी समय से एक्टिंग से दूर हैं और फिलहाल पूरा समय अपने बेटे अरेन को दे रही हैं। आमना शरीफ अक्सर अरेन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं और उनका परिवार भी हर खास लम्हों को साथ में सेलिब्रेट करते नजर आता है।
इस टीवी एक्ट्रेस ने प्रोड्यूसर अमित कपूर से शादी की और अपने बेटे को हर तरह की परंपरा और तहज़ीब सीखा रही हैं। आमना जहां मुस्लिम हैं तो वहीं उनके पति पंजाबी हैं और दोनों ही अपनी संस्कृति का बेस्ट अपने बेटे को दे रहे हैं।
हाल में ईद के मौके पर आमना शरीफ ने अपने बेटे की एक तस्वीर शेयर की जिसमें वो कुर्ता पायजामा में बहुत ही क्यूट लग रहे थे। ये कपल होली भी अपने बेटे के साथ खेलते नजर आए थे। अरेन हाथ में पिचकारी लिए और गाल में गुलाल लगाए बहुत ही प्यारे लग रहे थे।
इसमें कोई शक नहीं है कि आमना एक परफेक्ट मां हैं। वो अपने बेटे के साथ बिताए हर छोटे बड़े लम्हों को सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं। उनकी तस्वीरों को देखकर तो यही लगता है कि वो पूरी तरह से अपनी जिंदगी के इस पल को इंज्वॉय कर रही हैं।
इन सबके बाद आमना शरीफ के फैन्स चाहते हैं कि वो जल्द से जल्द स्क्रीन पर वापसी करें लेकिन अगर वो अपने लिटिल बेबी की ऐसी ही क्यूट तस्वीरें शेयर करती रहेंगी तो हमें उनकी मैटरनिटी लीव से कोई समस्या नहीं है।
अगर आप भी आमना शरीफ की तरह खुशकिस्मत हैं जिनके यहां बहुसांस्कृतिक वातावरण है तो जानिए बच्चों में ये कैसे लाएं
- बहुभाषी बनाएं: शहरी क्षेत्रों में बच्चे इंग्लिश या हिंदी सीखते हैं और उनकी दो भाषाओं पर पकड़ होती है लेकिन अगर आपके बच्चे को क्षेत्रिय भाषा आती है तो वो और भी अच्छी बात है। अगर आपके परिवार में भी क्षेत्रिय भाषा बोली जाती है तो बच्चों को भी जरूर सिखाएं ताकि वो दोनों तरफ के परिवारों से सहजता के साथ बात करे।
पेडिट्रिशियन के अनुसार 1 से 5 साल के बच्चे आसानी से कई भाषाओं को समझ सकते हैं और सीख सकते हैं बशर्ते उन्हें इसकी शिक्षा दी जाए। एक से अधिक भाषा आने वाले बच्चे अधिक क्रिएटिव भी होते हैं। - कभी खत्म नहीं होते सेलिब्रेशन: आप खुद ही सोचिए कि ऐसा घर जहां हर महीने कुछ ना कुछ सेलिब्रेट करने के लिए हो। हमारा भारतीय कैलेंडर वैसे भी पूरा साल किसी ना किसी त्योहार से भरा होता है और लेकिन अगर बच्चे अलग अलग परंपराओं से रूबरू हो रहे हैं और तो और भी अच्छी बात है। इससे वो अधिक सहिष्णु होते हैं और हर परंपरा की सकारात्मक बातें सीखते हैं।
- उनकी अलग दुनिया: भारत में बड़े होने का मतलब है अलग अलग जगहों की तरह-तरह की किस्से कहानियां सुनते हुए बड़े होना। आप खुद सोचिए अगर आपके ही घर में पैरेंट अलग अलग कल्चर और ट्रेडिशन के हों तो बच्चों का बचपन कितना मजेदार होगा। आप अपने बच्चों को देश की अलग अलग जगहों की परंपरा को समझाने की कोशिश करें ताकि उनकी पर्सनैलिटी बेहतरीन हो।
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