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मॉम हो जाएं अलर्ट..डी कोल्ड और कॉम्बिफ्लेम तय मानकों पर हुए फेल!

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मॉम हो जाएं अलर्ट..डी कोल्ड और कॉम्बिफ्लेम तय मानकों पर हुए फेल!मॉम हो जाएं अलर्ट..डी कोल्ड और कॉम्बिफ्लेम तय मानकों पर हुए फेल!

कॉम्बिफ्लेम और डी कोल्ड टोटल - आपने भी इनके बारे में सुना होगा और कई बार खुद से लेकर खाया भी होगा। लेकिन अब समय आ गया है कि आप ऐसा करना बंद कर दें।

हमलोगों में से अधिकतर हल्का सर दर्द भी हो तो एलोपैथिक दवाएं तुरंत निकालकर खा लेते हैं और दवाएं जो भारत में काफी प्रसिद्ध हैं उनमे से एक हैं कॉम्बिफ्लेम और डी कोल्ड टोटल।

आपने भी इनके बारे में सुना होगा और कई बार खुद से लेकर खाया भी होगा। लेकिन अब समय आ गया है कि आप ऐसा करना बंद कर दें।

जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा

मानकों पर खरे नहीं उतरे डी कोल्ड टोटल और कॉम्बिफ्लेम

काफी पॉपुलर दवाइयां कॉम्बिफ्लेम जो Ibuprofen और पैरासिटामोल के कॉम्बिनेशन से बनती हैं और डी कोल्ड को रिपोर्ट्स के अनुसार सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्स कंट्रोल ऑर्गनिज़ैशन (CDSCO) ने मानकों पर खरा नहीं माना है।

कॉम्बिफ्लेम पेन किलर है तो डी कोल्ड टोटल से जुकाम और खांसी में आराम मिलता है। ये घर में पाया भी जाता है। कभी कभी पैरेंट्स इसे अपने बच्चों को जरूरत पड़ने पर दे भी देते हैं क्योंकि असर तुरंत देखने को मिलता है।

लेकिन इस खुलासे के बाद ऐसा लगता है कि समय आ गया है कि आप इन दवाइयों को उठाकर फेंक दें। 

मॉम हो जाएं अलर्ट..डी कोल्ड और कॉम्बिफ्लेम तय मानकों पर हुए फेल!

क्या ये सिर्फ एक बैच के हैं या आपको कभी नहीं खरीदना चाहिए?

इस टेस्ट को आखिरी महीने किया गया था और जो कंपनी इसका उत्पादन करती है (कॉम्बिफ्लेम का सैनोफी इंडिया और डी कोल्ड टोटल का रेकिट बेनकिसर हेल्थकेयर इंडिया) उनका कहना है कि ये सिर्फ कुछ बैच पर ही लागू होती है

हालांकि, ये सच्चाई नहीं है......

सैनोफी के भारतीय प्रवक्ता ने लीडिंग डेली से बात करते हुए कहा कि “2015 में कॉम्बिफ्लेम के उत्पादन के दौरान के कुछ बैच हैं जो मानकों पर खरे नहीं उतरे क्योंकि ये इनका डिसइंटिग्रेसन टाइम सही नहीं था। चूंकि दवा के शरीर में टूटने में ज्यादा वक्त लग रहा था। एक दवा को कई तरह के पैरमीटर पर देखा जाता है, जि‍नमें से एक यह होता है कि‍ दवा इंसान के शरीर में जाने के कि‍तनी देर बाद घुल जाती है। इस बैच की पहचान सीडीएससीओ ने मार्च 2017 में की थी। हमें जैसे ही इस बारे में आधि‍कारि‍क नोटि‍स मि‍लेगा हम उस पर तत्काल जरूरी कदम उठाएंगे।“

लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि पिछले साल कॉम्बिफ्लेम के तीन बैच मानकों पर खरे नहीं उतरे थे। बाकी कंपनियां जो टेस्ट में फेल हुई हैं उन्होंने अभी तक इस पर अपना कोई भी बयान नहीं दिया है। लेकिन इतना तो साफ है कि पैरेंट्स को इन दवाओं से दूर रहना चाहिए जबतक कि इसकी क्वालिटी को हरी झंडी ना मिल जाए।

विषम परिस्थिति में खुद से ना लें दवा

अगर आपके बच्चे को सर्दी, खांसी, शरीर या सर दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं ना कि खुद से ऐलोपैथी की दवाइयां दें। यहां जानिए कब आपको अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए ।

  • अगर सर्दी काफी दिन से हो (एक सप्ताह या ज्यादा)
  • अगर बार बार बुखार 100F से ज्यादा आए
  • अगर खांसी दो-तीन दिन से अधिक रहे तो डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • अगर किसी तरह के चिकित्सीय हालात हो जाएं
  • अगर घरेलू नुस्खे काम करना बंद कर दे

ये तो सिर्फ बुनियादी दिशा निर्देश हैं लेकिन बतौर माता-पिता आपको भी पता होता है कि बच्चे को कब डॉक्टर के पास लेकर जाना है। हम सिर्फ एक सलाह दे सकते हैं कि किसी समस्या के आने का इंतजार ना करें बल्कि जितनी चुस्ती दिखाएं उतना अच्छा है।

इस आर्टिकल के बारे में अपने सुझाव और विचार कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर शेयर करें | 

Source: theindusparent

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Written by

Deepshikha Punj

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