“मां की वजह से मेरी शादी टूट गई...मैं 36 साल की तलाकशुदा और अकेले हूं...”

इस औरत के साथ जिंदगी में जो भी हुआ उसकी जिम्मेदार उनकी मां है - मेरी उम्र 36 साल है , मैं अकेले रहती हूं, अपनी तीन साल की बेटी के बिना
हम लोगों में से अधिकतर की मम्मी हमारी बेस्ट फ्रेंड होती हैं जो हमें जिंदगी, प्यार, और रिश्तों के बारे में सिखाती है। वो हमें घर शब्द का मतलब समझाती है और पहली शिक्षक भी होती है जो हमारा ख्याल रखने वाली, और हमारी पहली सबकुछ होती है।
एक मां और बच्चे का सबसे पवित्र रिश्ता होता है। खासकर जो रिश्ता एक मां अपनी बेटी के साथ शेयर करती है वो और भी खास और मजबूत होता है। लेकिन इस औरत के साथ जिंदगी में जो भी हुआ उसकी जिम्मेदार उनकी मां है। उनका मां से रिश्ता हमेशा के लिए बदल गया। आज वो अकेले हैं, अवसाद में, दुखी और अब तक सदमे में हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उनकी मां ने ऐसा व्यवहार किया और अपनी बेटी और नातिन की जिंदगी खराब कर दी।
जानिए इनकी कहानी इन्हीं के शब्दों में...
मेरा नाम *रिया है
मेरी उम्र 36 साल है , मैं अकेले रहती हूं, अपनी तीन साल की बेटी के बिना, वो पिता के साथ रहती है जो अब मेरे पूर्व पति हो गए। जिससे शादी करने के लिए मैंने पूरी दुनिया से लड़ाई।
वो मेरा बेस्ट फ्रेंड था, साथ ही पहला प्यार भी जिसके साथ मैं जिंदगी गुजारना चाहती थी।
मुझे अब भी समझ नहीं आता कि क्या हुआ। इसलिए मैं आपको शुरूआत से बताती हूं शायद आप ही मुझे बता सकें कि कहां मुझसे गलती हुई ताकि मैं चीजों को सुधार सकूं अगर संभव हो तो।
मैं कॉलेज में थी जब मेरी मेरे पति से मुलाकात हुई थी जो अब आधिकारिक रूप से मेरा पति नहीं है। हम जैसे ही मिले हमें लगा कि जिंदगी भर बेस्ट फ्रेंड बनकर रहेंगे। मुझे उसी समय उसी क्षण प्यार हो गया था। अगर हम पूरा समय साथ में कैंपस में नहीं बिता पाते थे तो हम घंटो घंटो फोन पर बातें करते थे।
मेरे पैरेंट्स को लगा कि कोई मेरी जिंदगी में है और उन्होंने मुझसे इस बारे में पूछा । मैंने उन्हें सूरज* के बारे में बताया। बाकि भारतीय पैरेंट्स की तरह ही वो जानना चाहते थे कि रिश्ते का क्या मतलब है और हम इसे लेकर सीरियस थे ये नहीं। मैं उसकी तरफ से भरोसा देने के पहले सूरज से बात करना चाहती थी इसलिए मैंने उससे पूछा कि हमारे रिश्ते के भविष्य के बारे में वो क्या सोचता है और उसका जवाब सुनकर मैं रो गई।
एक पल भी बिना गवाएं उसने मुझसे कहा कि उसका मेरे साथ होने का सिर्फ एक कारण था कि वो अपना पूरा भविष्य मेरे साथ देखता था। वो मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था। मुझे याद है कि मैं रोने लगी थी। उसने मुझे गले लगाया और मेरे सर को चूमा। आज भी मैं उसे महसूस करती हूं। काश स्थिति आज भी वैसी ही होती।
मेरी मां तानाशाही करने लगी..लेकिन धीरे धीरे...
हमने पहले अपनी पढ़ाई पूरी की, पहला जॉब मिला और अब सेटल होने का वक्त था। तब हमने शादी के बारे में बात की। मेरी मां को हमेशा से मेरे रिलेशनशिप के बारे में पता था। वो कई बार सूरज से मिली और बोलती थी कि उन्हें सूरज पसंद है। उन्होंने मुझे कई बार ये कहा था खुशहाल शादीशुदा जिंदगी के लिए पैसे बहुत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने सूरज को घर चाय नाश्ते पर बुलाया। मेरे मम्मी पापा ने उसे बताया कि वो सूरज पर भरोसा करते हैं और साथ ही उसे एक पे-चेक हर महीने जमा करने को कहा ताकि हमारा भविष्य सुरक्षित रहे।
उस समय सूरज कुछ खास नहीं कमाता था इसलिए उसने कहा कि इसमें कुछ वक्त लगेगा। मेरे पापा ने उसे सलाह दी कि शादी के बाद हमें नए शहर में जाना चाहिए जहां ज्यादा संभावनाएं होंगी। मेरी मां ने कहा कि “ससुराल वालों के साथ समय बिताने और स्पेस ना मिल पाने से अच्छा है कि हम वहां एक दूसरे को बेहतर ढंग से समझेंगे और क्वालिटी समय बिताएंगे।
सूरज इस बात से खुश नहीं था, लेकिन उसे लगा कि ये मैं चाहती थी इसलिए इस निर्णय को अपनाने के लिए तैयार था। मैं ईमानदारी से कहूं तो मुझे भी नहीं पता था कि मैं ये चाहती थी लेकिन मेरी मां ने कहा कि इससे हम खुश रहेंगे इसलिए मैंने उनकी बातों से सहमत थी।
हम नए शहर में आ गए और मैं बहुत खुश थी लेकिन मुझे दिखता कि सूरज अपने पैरेंट्स को बहुत याद करता था। असल में उसके पैरेंट्स बहुत अच्छे और सिंपल हैं। भारतीय चिरपरिचित ससुराल वालों जैसे वो नहीं है।मैं उन्हें पसंद करती थी और वो भी मुझे प्यार करते थे लेकिन चूंकि मुझे अनुभवों की कमी थी, मेरी मां ने जो भी बोला मैं मानती गई।
मैं देख रही थी कि सूरज खुश नहीं था और इसलिए मैंने उसे कहा कि अगर लगता है होमटाउन में भी संभावनाएं अच्छी हैं तो हमें वहीं वापस चले जाना चाहिए। मुझे याद है कि वो उस दिन कितना खुश था। हमने एक दूसरे पर ऐसे प्यार बरसाया जैसे शुरूआती दिनों में हुआ करता था।
मेरे ससुराल वाले अच्छे थे मैं समझ नहीं सकी...
हमलोग वापस घर में शिफ्ट हो गए और मैं काफी खुश थी। लेकिन मेरी मां ने बोलना शुरू किया वो मुझे कितना याद करती हैं। वो फोन पर रोने लगती और मिलने को कहती। मैं कामकाजी महिला थी इसलिए वर्किंग दिनों में मुझे समय नहीं मिल पाता था। वीकेंड में उनसे मिलने जाने लगी। जब मैं कहती कि अब जा रही हूं तो वो रहने के लिए कहती और रोने लगती।
जल्दी ही मैं अपने वीकेंड अपने पैरेंट्स के साथ बिताने लगी। मुझे पता है कि मैं गलत थी लेकिन तब मुझे इस बात का एहसास नहीं था। मुझे लगा कि एक बेटी के तौर पर ये बिल्कुल सही है।लेकिन मैं एक पत्नी भी हूं ये भूल गई।
जब मेरे बेबी का जन्म हुआ मैं अपने पैरेंट्स के घर पर थी। मेरी मां ने मुझे कहा कि मेरे ससुराल वाले मुझे और बच्चे को हैंडल कर पाने के लिए सक्षम नहीं है। वो अपने सर्किल में मेरी पसंद पर मजाक उड़ाते थे और मुझे ये सब सुनना अच्छा नहीं लगता था। इसलिए मुझे लगा कि सबको खुश करने के लिए अच्छा है कि मैं अपने पैरेंट्स के साथ समय बिताऊं ताकि वो देख सकें कि मैं खुश थी।
मेरे पति ने कभी शिकायत नहीं की
मेरे पति ने कभी मुझसे शिकायत नहीं कि लेकिन मुझे याद नहीं कि वो कब मेरे माता पिता से मिलना बिल्कुल छोड़ दिया। जब वो अपने काम में व्यस्त रहने लगा और जागने वाले समय में घर आना छोड़ चुका था। चीजें एक मां के तौर पर मुश्किल थी। घर, मातृत्व और काम पर बैलेंस बना पाना काफी मुश्किल था। मुझे याद भी नहीं कि बेबी के होने के बाद कब आखिरी बार मैं अपने पति के साथ इंटिमेट हुई थी।
मैं ऑफिस, ससुराल और पैरेंट्स तीनों को मैनेज करते करते थक गई थी और खुद को समय देना बिल्कुल छोड़ चुकी थी। मैं पुराने बेढंगे कपड़े पहन लेती थी। शायद ही कभी बाल बना पाती थी मेकअप करना तो दूर की बात है। मैं कुछ खास प्रजेंटेबल नहीं थी।
घर में स्थिति काफी बुरी हो गई और मेरे पति ने मुझे कहा कि वो चाहता है कि मैं अपने पैरेंट्स के घर ना जाऊं। मैं हतप्रभ थी। मैंने उसे कहा कि ये संभव नहीं है इसलिए उसने मुझे अपनी मां और पति में से किसी एक को चुनने के लिए कहा। मैं अपने बेबी के साथ मम्मी पापा के यहां आ गई और मेरी मां ने कहा कि मैंने सही किया।
तलाक..और मैं बरबाद हो गई..
कुछ महीनों बाद तलाक के पेपर आ गए। मेरे पैरेंट्स ने कहा कि वो इसे संभाल लेंगे और उन्होंने ही वकील और सबकुछ मैनेज किया और कहा कि मैं सूरज से कोई भी संबंध नहीं रखूं। अगर वो मुझे फोन भी करता था तो मैं अपनी मां की बात सुनकर उससे बात नहीं करती थी जिससे मैं प्यार करती थी और आज भी करती हूं।
आखिरकार फैसला आया, मुझे तलाक मिल गया और अपनी बेटी की कस्टडी केस मैं हार गई। मैं अकेले एक किराये के अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गई और बिल्कुल अकेले रहती हूं। मैं काफी समय तक अवसाद ग्रसित होने के कारण दवाई पर रही। मेरे दोस्त नहीं है, मैं कहीं बाहर नहीं जाती और अब तो मैं अपने पैरेंट्स के यहां भी नहीं जाती।
मैं सच में अब अकेले हूं।
मैंने अपनी मां का विश्वास किया और उन्हें बेस्ट फ्रेंड और शिक्षक माना लेकिन आप ही बताइए कि मैं कहां गलत थी? कोई मुझे समझाएगा कि मैंने क्या गलत किया और क्या मैं अपनी बेटी और पति के पास वापस लौट सकती हूं। मैं आज भी उससे प्यार करती हूं और पहले से ज्यादा करती हूं।
सारे नाम शख्स की पहचान छिपाने के लिए बदल दिए गए हैं जिन्होंने लेखक के साथ अपनी कहानी शेयर की।
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