पापा मेरे पीछ पड़े रहते थे...लेकिन जब तक वो जिन्दा थे मैंने एक शब्द नहीं लिखा – ट्विंकल खन्ना

उनके पिता महान एक्टर स्व राजेश खन्ना ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया। लेकिन तब उन्हें इसे गंभीरता से नहीं लिया।ट्विंकल खन्ना को अपनी जिंदगी में सिर्फ इसी बात का पछतावा है।
हम सभी जानते हैं कि ट्विंकल खन्ना जो भी लिखती हैं उसे उनके पति अक्षय कुमार सबसे पहले पढ़ते हैं। लेकिन कई लोग नहीं जानते कि उनके पिता महान एक्टर स्व राजेश खन्ना ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया। लेकिन तब उन्हें इसे गंभीरता से नहीं लिया।
ट्विंकल खन्ना को अपनी जिंदगी में सिर्फ इसी बात का पछतावा है। हाल में एक नेशनल अखबार से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अपने बॉलीवुड इमेज से इतर वो पढ़ने के काफी शौकिन थे।
उन्होंने बताया कि “मैं बचपन से पढ़ती थी। मालविका संघवी (उस समय की एंकर) ने एक बार मुझे बुलाया था और कहा था ‘मैं तुम्हारे पापा को जानती हूं।वो मुझे रात में बुलाते हैं’ मुझ लगा कि आगे वो बोलेंगी कि वो उनसे प्यार करते हैं और मेरा एक सौतेला भाई है। लेकिन उन्होंने कहा कि वो दोनों किताबों पर चर्चा करते थे। मेरे पिता को पढ़ना पसंद था और ये हमने अपने घर पर भी किया। मुझे नहीं लगता कि लोगो की जो बॉलीवुड को लेकर जो धारणा है उसपर ये फिट बैठता है लेकिन हम ऐसे ही हैं।“
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि “जब मै अपने टीनएज में थी मैं साइंस फिक्शन पढ़ती है। मेरे एक मामा जी थी जिनके पास काफी सारी किताबे थे। पढ़ना बहुत जरूरी है क्योंकि है तभी आप अपने दिमाग में शब्दों को भरते हैं। ये कुछ ऐसा ही है कि आप बाजार से जूसर लेकर आइए और बिना कुछ डाले ऑन कर दें। आपको इसमें कुछ डालना होगा तभी कुछ निकलेगा। लिखने के साथ भी कुछ ऐसा ही है।“
ट्विंकल खन्ना ने साथ ये भी कहा कि ये उनके पिता लिखने के लिए उनके पीछे पड़े रहते थे लेकिन उन्होंने उनका कहना कभी नहीं माना । अब उन्हें लगता है कि काश वो देख पाते कि आज ट्विंकल खन्ना कहां हैं।
ट्विंकल खन्ना ने कहा कि ये उनके पिता थे जो लिखने के लिए उनके पीछे पड़े रहते थे। मेरे पापा ज्योतिष में विश्वास करते थे। किसी ने उन्हें कहा था कि उनकी बेटी एक दिन लेखिका बनेगी। वो हमेशा मुझे कहते थे लेकिन जब तक वो रहे मैंने एक शब्द नहीं लिखा। काश वो मुझे आज देख पाते।“
ट्विंकल खन्ना ने साथ ही ये भी बताया कि वो जब 18 साल की थीं तब एक आधी अधुरी किताब उन्होंने लिखी थी।
उन्होंने बताया कि “मैंने आधी किताब 18 साल की उम्र में लिखी, मेरे पास मॉरबिड की कविताओं का पूरा कलेक्शन था।उसके बाद मैं कभी डायरी तक नहीं लिखी। मैं सोचती थी कि जब मैं 60 साल की हो जाउंगी तब लिखना शुरू करूंगी। लेकिन कॉलमिस्ट बनने का ऑफर आया और इस तरह से इसकी शुरूआत हुई।“
पिता को बच्चों को रिस्क लेने देना चाहिए
ऐसा पाया गया है कि भारत में पिता बच्चों को रिस्क लेने देते हैं कि वो जो करना चाहें करें। जी हां इसका खुलासा एक पॉपुलर पैरेंटिंग सर्वे में हुआ था। 200 प्रीस्कूल्स लोगों ने इसमें हिस्सा लिया जिसमें पोद्दार इंस्टिट्यूट, सांताक्रूज भी सदस्य थे।
“हम आश्चर्य चकित थे कि पिताओं की परवरिश का तरीका काफी चौंकाने वाला था। हमने सोचा कि वो मम्मियों के मुकाबले कम रिस्क लेने वाले होंगे लेकिन वो 21वीं सदी के तकनीक से लैस पिता थे।“
उस सर्वे में इन बातों का पता चला
- 75 प्रतिशत महिलाओं की है helicopter parenting style थी।
- 68 प्रतिशत पिता चाहते थे कि उनके बच्चे अपनी गलतियों से सीखें
- मम्मियां नहीं और सावधान रहना जैसे शब्दों का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं।
- 80 प्रतिशत अपने बच्चों को रिस्क लेने के लिए कहते हैं।
इस आर्टिकल के बारे में अपने सुझाव और विचार कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर शेयर करें |