पत्नी को है अपने ससुराल में रहने का पूरा अधिकार : बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला की अपील पर अपना फैसला सुनाया। अपील में कहा गया कि महिला को घर खाली करने बोला गया क्योंकि ये उसके ससुर के नाम पर था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि एक महिला के पास पूरा अधिकार है कि वो अपने ससुराल में रहे या अपने परिवार के साथ घर शेयर करके रहे। ये मायने नहीं रखता कि संपत्ति उसकी या है उसके पति की ।
दरअसल एक महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की थी क्योंकि उसे अपना घर खाली करने के लिए बोला गया था जो उसके ससुर के नाम पर था।
उनके वकील ने दलील पेश की और कहा कि चूंकि वो उनका वैवाहिक घर है इसलिए वो इसमें रह सकती है और कोई उसे बाहर नहीं कर सकता है।
क्या था मामला...
दूसरे पक्ष के वकील का इस मामले में कहना है कि पत्नी को रहने का अधिकार तभी है जब संपत्ति उसके पति की हो। पति ने साथ ही ये भी कहा कि उनकी पत्नी अपने ससुर यानि पिता के मुलुंद स्थित घर में रहने चली गई थी।
2014 सितंबर में फैमिली कोर्ट ने नोट किया था कि महिला जिस घर में रहती है वो उसके ससुर का है जबकि उसका पति नवीं मुंबई में रहता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की जज शालिनी फलसालकर ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम में कहा गया है कि महिला को अपने वैवाहिक घर में रहने का या साझा करने का अधिकार है फिर चाहे उसे हक या रुचि हो अथवा ना हो।
उन्होंने ये भी कहा कि कपल मुलुंद स्थित घर में झगड़ा शुरू होने के पहले साथ में रह रहे थे इसलिए दोनों इस घर को साझा कर सकते हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि “चाहे वो फ्लैट उसके पति नहीं बल्कि ससुर के नाम पर हो लेकिन फिर भी महिला घर में रह सकती है।“
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि फैमिली कोर्ट ने इन पक्षों पर नहीं ध्यान दिया और खासकर घरेलू हिंसा अधिनियम पर जिसमें सीधे तौर पर ये बातें लिखी गई हैं।
जज ने कहा कि “फैमिली कोर्ट द्वारा दिया गया ऑर्डर कानूनी और सही नहीं कहा जा सकता है इसलिए किनारे रख देने की जरूरत है।“
संविधान द्वारा विवाहित महिलाओं को दिया गया अधिकार
हमारे संविधान में विवाहित महिलाओं को कई अधिकार दिए गए हैं जिसमें ये 3 प्रमुख हैं:
- स्त्रीधन का अधिकार: इसमें कहा गया है कि महिला को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार है। आपको बता दें कि स्त्रीधन महिला को शादी के पहले या बाद में मिलने वाले गिफ्ट और पैसे हैं जो उन्हें कोई भी दे सकता है।
- निवास का अधिकार: पत्नी को अपने वैवाहिक घर में जहां भी पति रहता है वहां रहने का अधिकार है फिर चाहे वो पुश्तैनी घर, संयुक्त परिवार, खुद का घर या किराये का घर हो।
- प्रतिबद्ध रिश्ते का अधिकार: एक हिंदु पुरुष किसी भी रुप से विवाहेतर संबंध या दूसरी शादी तब तक नहीं कर सकता है जब तक कि वो पत्नी को कानूनी रूप से तलाक ना दे दे।