जब मेरे शिशु की heart beat unstableहोने लगी तो मैंने caesarean कराने का फैसला किया


नन्ही हेज़ल , हॉस्पिटल के पलने में
घबराई हुई गभर्वती मां से लेकर गर्वित अभिभावक बनने तक आखिरकार किसे अच्छा नहीं लगता कि वह शिशु के जन्म की कहानी सुनना? डॉ. तूलिका खुराना के प्रसव की कहानी एक ऐसी ही विशिष्ट घटना है |
आप पहली बार गर्भवती हुई हैं और यह सोचकर हैरान हैं कि जब प्रसव का समय आएगा तो क्या होगा? क्या आप प्रसव प्रक्रिया के दौरान आने वाली खुशियों व मुश्किलों के साथ ही हैरानी व मिलने वाले झटकों के बारे में जानना चाहती हैं?
हमें पूरा भरोसा है कि प्रसव प्रक्रिया से जूझने के लिए आपके कुछ विचार होंगे… लेकिन हम यह भी जानते हैं कि एक महिला के जुबानी उसके प्रसव की कहानी सुनने से आपको काफी जानकारी मिलेगी। इसलिए दिल्ली में रहने वाली डेंटिस्ट डॉ. तूलिका खुराना यहां अपने प्रसव के बारे में हमें बता रही हैं। जानने के लिए पढ़ें
बच्चे के लिए प्लानिंग कर रहें हैं ? प्लानिंग ? वाकई ?
यह बात जुलाई के दूसरे या तीसरे सप्ताह की है। मैंने और मेरे पति ने बच्चे के बारे में सोचना भी शरू नहीं किया था। इसलिए जब मुझे मासिक धर्म नहीं हुआ तो हमें बड़ी हैरानी हुई। उस समय मैं गर्भधारण करना तो क्या उसके बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी। लेकिन हमने एचसीजी यूरिन टेस्ट किया और उसका नतीजा सकारात्मक आया। इसके अगले दिन ही हम गाइनेकोलॉजिस्ट के पास पहुंच गए।
अब क्योंकि यह मेरा पहला गर्भ था तो मैं इसे लेकर बहुत चिंतित थी। सबसे पहली बात जो मैंने अपने डॉक्टर को बताई वह यह कि पिछले हफ्ते मनाली में छुट्टियों के दैरान मैंने धूम्रपान भी किया था और काफी वाइन भी पी थी। इसके अलावा मैंने रिवर राफ्टिंग और रॉक क्लाइंबिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट भी किए थे।
मुझे चिंता हो रही थी कि इससे शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन मेरी डॉक्टर ने मुझे बताया कि विदेश में महिलाएं गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन करती हैं और उनके बच्चे भी स्वस्थ होते हैं।
कुछ पता नहीं, लेकिन अब और नहीं
एक डेंटिस्ट होने के नाते मुझे गर्भधारण के बारे में बहुत कम जानकारी थी। मुझे सिर्फ इतना पता था कि अभी मुझे काफी कुछ सीखना है। मैंने ढेर सारे प्रेग्नेंसी ऐप्स डाउनलोड किए और उनसे मुझे काफी फायदा भी हुआ। इस दौरान मैंने इंटरनेट पर गर्भावस्था के बारे में काफी कुछ पढ़ा और फेसबुक पर कई फोरम से भी जुड़ी। सबसे पहले मैंने अपने क्लीनिक पर एक्स-रे लेना बंद किया क्योंकि एक्स-रे गर्भ में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदेह होते हैं।
जब मैं गर्भावस्था के सातवें महीने में पहुंची तो मैंने अपने और अपने शिशु के लिए कपड़े, टॉयलेटरीज, ब्रेस्ट पंप, क्रेडल, प्रैम इत्यादि की खरीदारी पूरी कर ली थी। एक डॉक्टर होने के नाते अल्ट्रासाउंड देखकर मैं यह अच्छी तरह पता कर सकती थी मेरे गर्भ में लड़की है। इसलिए हमने उसी के अनुसार खरीदारी की।
मैंने गर्भावस्था के 9वें माह में योग क्लासेज़ जाने की योजना बनाई थी, लेकिन मैं ऐसा कर नहीं पाई। मेरा प्रसव निर्धारित तिथि से पांच सप्ताह पहले 3 फरवरी 2015 को हुआ था। बल्कि मैंने मेरे हॉस्पिटल में स्तनपान कराना सीखा। हमने नवजात शिशु की कॉर्ड स्टेम सेल बैंकिंग कराने के बारे में सोचा।
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आने वाली समस्याएं
जब मुझे 14 माह का गर्भ था तो मुझे मेरे पेट के निचले हिस्से में दाईं ओर हल्का दर्द हुआ। मेरी डॉक्टर ने मुझे अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। अल्ट्रासोनोग्राफी में सामने आया कि प्लेसेंटा थोड़ा फट गया है, जो शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
इसके बाद मुझे कुछ और ब्लड टेस्ट कराने पड़े। जांच में सामने आया कि मेरे शरीर में अधिक मात्रा में साइटोकिंस हैं, जो मेरे प्लेसेंटा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मेरे डॉक्टर ने हमें इम्यूनोथेरेपी कराने की सलाह दी, जिसमें मेरे पति का ब्लड सैंपल लिया गया और उनकी व्हाइट ब्लड सेल को उससे अलग कर फिर मेरे शरीर के रक्त में प्रवेश कराए गए।
ऐसा गर्भावस्था के 30वें सप्ताह तक हर पखवाड़े में किया गया। इन जटिलताओं के बावजूद मेरे डॉक्टर और मैंने सामान्य डिलिवरी की योजना बनाई थी।
बेबी हेज़ल आने की जल्दी में थीं
डिलीवरी की तारीख 9 मार्च थी और मेरे पति ने उस समय ऑपरेशन थिएटर में मेरे साथ रहने की योजना बनाई थी। लेकिन हम ऐसा नहीं कर सके क्योंकि मुझे निर्धारित तिथि से पांच सप्ताह पहले ही प्रसव शुरू हो गया।
मेरा वाटर बैग फट चुका था और चार घंटे तक मुझे कोई दर्द भी महसूस नहीं हुआ। आखिरकार मुझे सिज़ेरियन सेक्शन डिलीवरी ही करानी पड़ी।
मेरा पति, मेरा बर्थ पार्टनर
मेरे पति ही मेरे बर्थ पार्टनर थे। जब से हमें पता चला कि मैं गर्भवती हूं, तभी से मेरे पति ने मेरे खाने पीने का ध्यान रखने, समय पर दवा लेना याद दिलाने की जैसे पूरी जिम्मेदारी ही संभाल ली थी। वह मुझे डॉक्टर के पास नियमित जांच, अल्ट्रासाउंड, इजेंक्शन और ब्लड टेस्ट के लिए भी लेकर जाते थे।
मेरी गर्भावस्था के पूरे समय वह मेरे साथ थे, जो मेरे लिए काफी मददगार साबित हुआ। बल्कि अब भी जब रात में शिशु के साथ जागना पड़ता है तो वह इसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं और मेरी मदद करते हैं।
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हर तरफ था पानी
मैं कुछ दिन के लिए अपने मायके गई हुई थी। लेकिन उस सुबह 4 बजे जब मैं सो रही थी तो मुझे गर्भ में बच्चे के लात मारने का अहसास हुआ। अचानक मुझे बहुत जोर से किक लगी और मेरा पजामा पूरा गीला हो गया। उस समय तो मुझे समझ ही नहीं आया कि आखिरकार हुआ क्या और मैं खड़ी हो गई। और अचानक पूरा पानी नीचे आया व फर्श गीला हो गया था।
मैंने प्रसव की जितनी कहानियां पढ़ी थीं उनसे यह तो स्पष्ट हो गया था कि मेरा प्रसव शुरू हो गया था। मैंने तुरंत अपनी मां व बहन को उठाया और अपने डॉक्टर को भी कॉल किया। उन्होंने मुझसे पूछा कि पानी के साथ कोई खून तो नहीं है। जब मैंने नहीं में जवाब दिया तो उन्होंने मुझे चार घंटे आराम करने और सुबह 8 से 9 बजे हॉस्पिटल आने को कहा।
मेरा घर मेरे मायके से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है। हमने सोचा कि अगर कोई आपात स्थिति हुई तो हमें हॉस्पिटल के आसपास ही होना चाहिए इसलिए हमने तुरंत ही हॉस्पिटल जाने का फैसला किया। हम सुबह सवा चार बजे घर से निकल गए और मैंने अपने पति को फोन कर उन्हें सब कुछ बताया।
प्रसव है प्यारा दर्द… !
सुबह 9 बजे तक मुझे किसी भी प्रकार का दर्द या कोई ब्लीडिंग नहीं हुई। डॉक्टर ने मेरी जांच की लेकिन मेरे सर्विक्स में डाइलेशन भी नहीं था। उन्होंने अगले एक घंटे तक मुझे स्ट्रेस टेस्ट पर रखा। शिशु की धड़कन अस्थिर होने लगी थी। शिशु की धड़कन घटती और बढ़ती रही, जो बहुत खतरनाक था। आखिरकार हमने सिज़ेरियन सेक्शन कराने का फैसला किया।
मुझे वाकई में किसी भी तरह का प्रसव दर्द नहीं हुआ क्योंकि सी-सेक्शन के दौरान आपको एनेस्थिसिया दिया जाता है और दोपहर 1 बजकर 9 मिनट पर मुझे मेरी नन्हीं परी की पहली झलक देखने को मिली। प्रसव के करीब एक महीने बाद तक मुझे पेट में थोड़ा दर्द होता रहा क्योंकि वहां टांके लगे थे।
स्वस्थ शिशु के लिए शरीर स्वस्थ रखें
अगली बार गर्भधारण के लिए मैं अच्छी तरह योजना बनाना चाहती हूं और शरीर में कैल्शियम व आयरन की कमी नहीं होने दूंगी। और यही सलाह में गर्भधारण की योजना बना रही सभी महिलाओं को देना चाहती हूं। शिशु स्वस्थ हो इसके लिए बहुत जरूरी है कि मां भी स्वस्थ हो।
चूंकि शिशु मां के शरीर से ही पोषण लेता है इसलिए मां के शरीर में पर्याप्त मात्रा में मिनरल्स और विटामिन्स होने चाहिए, जिससे गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हो।
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