अपने बच्चों को sexual molestation से बचने के ये tips ज़रूर सिखाएं !

आंकड़ों के मुताबिक 2015 दिसंबर तक, अकेले दिल्ली में ही सेक्सुअल मोलेस्टेशन के 5192 केस रजिस्टर हुए । रेप और मोलेस्टेशन के लगभग 39 %, मामलों में करीबी दोस्त और परिवार के सदस्यों गुनहगार होते हैं , ये ऐसे लोग होते हैं जिन पर कोई शक करता। ऐसे में अपने बच्चों को गन्दी नियत और लोगों से बच्चा कर रखना माता -पिता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।
आंकड़ों के मुताबिक 2015 दिसंबर तक, अकेले दिल्ली में ही सेक्सुअल मोलेस्टेशन के 5,192 केस रजिस्टर हुए जिनमें से मोलेस्टेशन और रेप के मामलों में 70 % अपराधियों की उम्र 21-35 साल के बीच थी।
इंडिया का रपे कैपिटल कहलाये जाने वाले शहर "दिल्ली' के पुलिस कमिशनर बी.स. बसी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा की " "रेप और मोलेस्टेशन के लगभग 39 %, मामलों में करीबी दोस्त और परिवार के सदस्यों गुनहगार थे", ये ऐसे लोग होते हैं जिन पर कोई शक नहीं करता ।
ऐसे में अपने बच्चों को गन्दी नियत और लोगों से बच्चा कर रखना माता -पिता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है। रोज़ बढ़ते सेक्सुअल क्राइम रेट को देखते हुए ये ज़रूरी है की हम अपने बचे की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहे, लकिन इस बात का ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है की हमरी गैरमौजूदगी में भी हमारे बच्चे किसी गलत हाथों में पड़ कर किसी भयानक क्राइम का शिकार न हो जाएं ।
अपने बच्चे को ये बार-बार याद दिलाना जरूरी है की वो अनजान लोगों से बात न करें, चाहे वो आपको कितने भी अच्छे या फ्रेंडली क्यों न लगें । लेकिन ये सावधानी दूसरों के साथ रखना भी उतना ही जरूरी है जितना अपने रिलेटिव आदि के साथ । खासकर के जब भी आप घर से बाहर जा रहे हों तो अपने बच्चे को किसी भी रिश्तेदार या दोस्त आदि की निगरानी में छोड़कर न जाएँ । बच्चों पर हमेशा ध्यान रखें । दिन के उजाले में भी अनहोनी केवल कुछ सेकंड में ही हो सकती है ।
पेरेंट्स के लिए ये जानना बहुत जरूरी है की चाइल्ड मोलेस्टर या रेपिस्ट कोई भी हो सकता है, ये वो लोग होते हैं जिन पर आपको ज़रूरत से जादा भरोसा होता है ।
अपने बच्चे को बार-बार ये बातें बताते रहें :
मोलेस्टर दयालु और अच्छे हो सकते हैं
वो दिखने में बात करने में भी बहुत अच्छे हो सकते हैं । वो सोसाइटी के जाने माने लोग भी हो सकते हैं । इसीलिए अपने बच्चे को बताएं की ऐसे लोगों के साथ-साथ डरावने दिखने वाले लोग भी मोलेस्टर हो सकते हैं । चाहे स्ट्रेंजर कोई भी हो, कोई बूढ़ा व्यक्ति हो या कोई महिला कभी भी ये न सोचे की वो हार्मलेस हैं ।
द 'बाथिंग सूट' मेथड
बच्चों को गुड टच, बैड टच के बारे में बताएं । कोई भी चीज जो उसे अनकम्फ़र्टेबल लगे , फिर चाहे वो कोई दोस्त करे या रिलेटिव या कोई अनजान व्यक्ति , ये हमेशा बैड टच ही होता है । बच्चे को बताएं की उनके शरीर का हर वो हिस्सा जो बाथिंग सूट से ढका होता है उसे छूने की इज़ाज़त किसी को नहीं है । अगर कोई शरीर के उन जगहों को छूने की कोशिश करे तो बच्चे को सिखाएं की वो तुरंत आकर आपको बता दें ।
डरें नहीं, बस सावधान रहें
बच्चों को ये भी सिखाना जरुरी है कि, जरुरी नहीं है की उनके पेरेंट्स के अलावा हर कोई उन्हें नुकसान ही पहुंचाएंगे । ये उनके लिए जरुरी है ताकि वो लोगों पर विश्वास करना भी सीखें ।
पब्लिक प्लेसेस पर बच्चों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
अपने छोटे बच्चों को अपने साथ अपने पास और निगरानी में रखें
अगर आप थोड़ी भी दूर जा रहे हैं तो अपने बच्चे को अपने साथ लेकर ही जाएँ । उससे ज़रा भी देर होने से उनको नुकसान पहुंचाना बहुत आसान हो जाता है ।इसीलिए जरुरी है की आप उसके साथ-साथ उसके हाथ पकड़ कर चलें ।
बच्चे को हर जगह अपने साथ ले जाएँ
चाहें आप रेस्ट रूम में जाएँ या चेंजिंग रूम में बच्चे आपके साथ ही होने चाहिए । अगर वो स्टाल से बहार भी अपने पैर निकालें तो उन्हें आप खिंच कर अपने साथ रखें ।
उनके क्यूरोसिटी को बढ़ावा दें लेकिन उन्हें हमेशा अलर्ट रहना सिखाएं
बच्चे बहुत जल्दी विचलित हो जाते हैं , खासकर के जब वो किसी नयी जगह पर जाते हैं । इसिलीये उन्हें फोकस रहना सिखाएं चाहे वो आस-पास घूम ही क्यों न रह हों । उनका हाथ पकड़कर उन्हें अपने पास बैठाएं और उनके सभी सवालों का जवाब दें चाहे वो सवाल कितने भी सिल्ली क्यों न हों ।
ये सारी सावधानियां न सिर्फ आपके बच्चे को सुरक्षित रखेंगी बल्कि इससे आप दोनों का बांड भी अच्छा होगा ।
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